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लोक अदालत क्या है ?

लोक अदालत का अर्थ है लोगों का न्यायालय। यह एक ऐसा मंच है जहां विवादों को आपसी सहमति से निपटाया जाता है। यह गांधी जी के सिद्धांतों पर आधारित है।

लोक अदालत विवादों को निपटाने का वैकल्पिक साधन है। लोक अदालत बेंच सभी स्तरों जैसे सर्वोच्च न्यायालय स्तर, उच्च न्यायालय स्तर, जिला न्यायालय स्तर पर दो पक्षों के मध्य विवाद को आपसी सहमति से निपटानें के लिए गठित की जाती है।

लोक अदालत में सुलहकार के रूप में कौन कार्य करता है ?

प्रत्येक लोक अदालत में दो सुलहकार कार्य करतें हैं उनमें से एक कार्यरत अथवा सेवानिवृत न्यायिक अधिकारी होता है और अन्य सुलहकार अधिवक्ता अथवा चिकित्सक हो सकता है।

किस प्रकार के विवादों का निपटारा लोक अदालत में किया जाता है ?

न्यायालय में लंबित मुकदमां का समझौता – केवल ऐसे आपराधिक मुकदमों को छोड़कर जिनमें समझौता  कानूनन संभव नही है, सभी प्रकार के सिविल एवं आपराधिक मुकदमें भी इन लोक अदालतों में आपसी समझौते के द्वारा निपटाये जातें हैं।

न्यायालय में मुकदमा जाने से पहले समझौता – ऐसे विवाद जिन्हें न्यायालय के समक्ष दायर नही किया गया है उनका भी प्री लिटिगेशन स्तर पर यानि मुकदमा दायर किये बिना ही दोनो पक्षोंं की सहमति से लोक अदालतों में निस्तारण किया जा सकता है।

लोक अदालत में किस आधार पर केसों का निपटारा होता हैं ?

पक्षों की आपसी सहमति ही केवल केसों के निपटारे का आधार होती है। इस प्रकार का निपटारा गैर कानूनी एवं लोक नीति के विरूद्ध  नही होना चाहिए।

लोक अदालत की क्या विशेषताएं हैं ?
  1. इसमें कोई कोर्ट फीस नही होती। यदि न्यायालय में लंबित मुकदमें में कोर्टं फीस जमा भी करवाई गई हो तो लोक अदालत में विवाद का निपटारा हो जाने पर वह फीस वापिस कर दी जाती है।
  2. इसमें दोनों पक्षकार जज के साथ स्वयं अथवा अधिवक्ता के द्वारा बात कर सकतें हैं जो कि नियमित कोर्ट में संभव नही होता।
  3. लोक अदालत का मुख्य गुण है अनौपचारिकता,, त्वरित न्याय।
  4. लोक अदालत के द्वारा पास अवार्ड दोनो पक्षों के लिए बाध्यकारी होता है। इसे डिक्री कहा जाता है और इसके विरूद्ध अपील नही होती।
स्थायी लोक अदालत क्या है
  1. स्थायी लोक अदालत का गठन विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियमए 1987 की धारा 22-बी की उप धारा (1) के अंतर्गत हुआ है। जनहित सेवाओं से संबंधित विभाग जैसे बिजली, पानी, अस्पताल आदि से संबंधित मामलों को, मुकदमें दायर करने से पहले आपसी सुलह से निपटाने के लिए राज्य प्राधिकरण द्वारा स्थायी लोक अदालतों की स्थापना की गई है।
  2. कोई भी पक्ष जिसका संबंध इन जनहित सेवाओं से है वह इन विवादों को निपटाने के लिए स्थायी लोक अदालत में आवेदन कर सकता है।
  3. सबसे पहले विवाद को आपसी सुलह के द्वारा सुलझाने का प्रयास किया जाता है और सहमति के बाद अवार्ड पास कर दिया जाता है। यदि आपसी सुलह के द्वारा केस का फैसला नही हो पाता तो स्थायी लोक अदालत में मामले का निपटारा मामले के गुण-अवगुण के आधार पर कर दिया जाता है।
  4. अवार्ड पास होने के पश्चात वह न्यायालय की डिक्री की तरह ही संबंधित पक्षों पर अनिवार्य रूप से लागू कराया जाता है। इसके फैसले के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नही की जा सकती।