कठिनाइयों से सुलह तक की यात्रा
आवेदिका जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) कार्यालय में अत्यधिक तनाव और भय की स्थिति में पहुंची। व्यक्तिगत परामर्श के दौरान, काउंसलर ने उसके मामले की पूरी जानकारी प्राप्त की। उसने बताया कि वह अपने मायके में रह रही है, जबकि उसके दोनों बच्चे ससुराल में उसके पति के साथ रह रहे हैं। मायके आने के बाद से उसकी बच्चों से कोई बातचीत नहीं हुई, जिससे वह भावनात्मक रूप से परेशान थी।
उसने यह भी बताया कि देवर, सास और ननद द्वारा शारीरिक हिंसा की गई थी। पति को इस बारे में सूचित करने के बावजूद, उसने अपने परिवार का ही समर्थन किया और उसकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि पति ने उसे बार-बार वापस आने को कहा, लेकिन अविश्वास और असुरक्षा की भावना के कारण वह लौटने के लिए तैयार नहीं थी।
परामर्श प्रक्रिया की शुरुआत
काउंसलर ने उसकी संकटों को हल करने की क्षमता और सकारात्मक दृष्टिकोण को पहचानते हुए कानूनी हस्तक्षेप शुरू किया। उत्तरदायी पक्षों को DLSA कार्यालय में पारिवारिक परामर्श के लिए कानूनी नोटिस भेजा गया।
परामर्श सत्रों के दौरान, आवेदिका की माता सहित सभी महत्वपूर्ण पारिवारिक सदस्य उपस्थित रहे। इन सत्रों में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा हुई:
✅ पारिवारिक विवादों के कारणों की पहचान
✅ सुलह के समाधान तलाशना
✅ बच्चों के कल्याण पर चर्चा
✅ आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय सहायता
✅ पारिवारिक भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना
संरचित चर्चा और विवाद समाधान
अगले सत्रों में, काउंसलर ने टकराव (Confrontation), सारांश (Summarising) और पुनरुक्ति (Paraphrasing) तकनीकों का उपयोग किया, ताकि दोनों पक्ष एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझ सकें।
✅ आवेदिका की ननद और मौसी ने भी चर्चा में योगदान दिया।
✅ देवर को भी शामिल किया गया, ताकि उसके विवाद में भूमिका पर चर्चा हो सके।
✅ बच्चों के साथ अलग से चर्चा कर उनकी भावनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
अंतिम समझौता
कई परामर्श सत्रों के बाद, निम्नलिखित समाधान निकाले गए:
1. सुलह स्पष्ट शर्तों पर – आवेदिका ने पति के साथ फिर से रहने का निर्णय लिया, बशर्ते उसे अलग रहने के लिए एक कमरा दिया जाए।
2. वित्तीय सहायता – पति ने ₹2000/- प्रति माह ऑनलाइन ट्रांसफर करने की सहमति दी।
3. शराब सेवन पर नियंत्रण – आवेदिका ने देखा कि पिछले सप्ताह में पति ने केवल दो बार शराब पी, और वह पहले की तुलना में अधिक जिम्मेदार बन गया है।
4. बच्चों की देखभाल – आवेदिका को आश्वासन दिया गया कि वह ससुराल में बच्चों के साथ सुरक्षित माहौल में रहेगी।
फॉलो-अप और सकारात्मक परिणाम
➡ 20 दिन बाद की गई फॉलो-अप बैठक में दोनों पक्षों ने पुष्टि की:
✔ दोनों शांति से रह रहे हैं, कोई विवाद नहीं हुआ।
✔ पति ,पत्नी और बच्चों की जिम्मेदारियां पूरी कर रहा है।
✔ गुस्से को नियंत्रित करने, नशामुक्ति उपायों और संवाद कौशल में सुधार हुआ।
निष्कर्ष
संरचित परामर्श और पारिवारिक मध्यस्थता के माध्यम से, आवेदिका ने भय और तनाव की स्थिति से स्थिरता और सुलह की ओर अपनी यात्रा पूरी की।
यह मामला वैवाहिक परामर्श की सफलता को दर्शाता है, जिसने एक परेशान वैवाहिक रिश्ते को सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण जीवन में परिवर्तित कर दिया।
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